Saturday, November 23, 2013

भरोसा और आस्‍था

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रेखांकन : सुमनिका, कागज पर चारकोल 



डायरी के ये अंश सन् 1997 से 2000 के बीच के हैं। तब तक आईडीबीआई छोड़कर यूटीआई में स्‍थाई तौर पर आ गया था। हालांकि यह स्‍थायित्‍व भी ज्‍यादा चला नहीं। इस समय में नौकरी और रोजमर्रा की जिंदगी के ढर्रे का तानपूरा लगातार छिडा़ हुआ है। बीच-बीच में लिख न पाने की टूटी-फूटी तानें हैं। अल्‍पज्ञ रह जाने का शोक है। कट्टरवाद की एक ठंडी लपट है और रत्‍ती भर वर्तमान में से अतीत में झांकना है। पता नहीं इन प्रविष्टियों के लिखे जाने, छपने और पढ़े जाने का कोई मतलब भी है या नहीं। डायरी के ये टुकड़े हिंदी साहित्‍य की नवीन नागरिक कविता-पत्रिका सदानीरा के हाल में आए दूसरे अंक में छपे हैं।
 

05/12/99 प्रात: सात बजे
लगभग एक महीना हो गया, खुद से सामना किए हुए। यूं नहीं कि इस बीच सामना या मुठभेड़ नहीं होती रही है, पर ज्यादातर एक ही ट्रैक चलता रहता है। त्वरित, निरवकाश, नियमित, निरंतर। पिछले दिनों निर्मल वर्मा की भारत और यूरोप - प्रतिश्रुति के क्षेत्र पुस्तक के कई निबंध पढे़। भारतीयता की नई सी व्‍याख्‍या है। भारतीयता ही क्यों, यूरोप की भी। आपसी संबंधों की भी। इसी व्याख्या के कारण इन्हें दक्षिणपंथी, बल्कि भाजपाई कहा जाता होगा। पर यह व्‍याख्‍या विचारोत्‍तेजक है।

दूसरे, सारे लेखन में लेखन, लेखन-कर्म, जीवन और लेखक के संबंध के प्रति बडी़ सम्‍पृक्‍तता प्रतिभासित होती है। एक तरह की मंद्रता भी उनमें है। लेखन के प्रति खूब भरोसा प्रकट होता है। भरोसा और महत्व। लखनऊ में काशीनाथ सिंह को नामवर सिंह के पत्र पढ़ते हुए सुनते-देखते समय भी ऐसा ही विश्वास और आस्‍था महसूस हुई थी।

इधर के लेखकों में यह भरोसा-आस्‍था कितनी है, कहां है... शब्द की शक्ति को महसूस करना... नकारत्मक दृष्टिकोण इतना हावी होता जाता है कि भरोसा उठता जाता है। भरोसे को बचाना और महसूस करना शायद ज़रूरी है।

2 comments:

  1. इस पोस्ट की चर्चा, रविवार, दिनांक :- 24/11/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक - 50 पर.
    आप भी पधारें, सादर ....

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा रविवार, दिनांक :- 24/11/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}http://hindibloggerscaupala.blogspot.in/" चर्चा अंक - 50- पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....

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