Thursday, December 31, 2009
Wednesday, December 30, 2009
Wednesday, December 23, 2009
शहर को पीठ
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Friday, December 18, 2009
निर्माल्य कलश
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Tuesday, December 15, 2009
अम्मा पुछदी
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Wednesday, December 9, 2009
हिंदी का बुद्धिजीवी
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Tuesday, December 1, 2009
संगठन, लेखकों के कवच-कुंडल बनें
- प्रत्येक संघ अपने अपने सदस्यों की सूची जारी करे।
- आमदनी और खर्चे का हिसाब किताब सार्वजनिक किया जाए।
- अपने काम में पारदर्शिता कायम रखी जाए।
- युवा लेखकों को जोड़ा जाए।
- संभावनाशील छात्र लेखकों के लिए कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं की जाएं।
- रस्मी गोष्ठियों से हटकर कार्यक्रमों में नवीनता लाई जाए।
- गोष्ठियां और कार्यक्रम सिर्फ लेखकों के लिए ही नहीं, पाठकों के लिए भी किए जाएं।
- पाठ्यक्रमों के निर्माण में हस्तक्षेप करें।
- लेखकों को लेखकों के बीच ही नहीं, जनता के बीच भी ले जाएं।
- संघ लघु पत्रिकाओं और पुस्तकों के वितरण में मदद करें।
- लेखक-प्रकाशक रिश्तों को सुधारें और लेखक के हितों की रक्षा करें।
- पाठ्यपुस्तक व्यवसाय की निगरानी करें।
- हिंदी सेवी संस्थाओं की देखभाल/निगरानी करें।
- लेखक सहायता कोष बनाएं।
- संघों को सामंती और नौकरशाही वृत्तियों से मुक्त कराएं।
- पहले लक्ष्य निर्धारित करें और उन्हें पूरा करें। अब आगे जाने की जरूरत है। जरा सोचें कि लेखक संघों ने अब तक क्या क्या किया है और आगे क्या कैसे करना है।
Thursday, November 26, 2009
26 11
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आज मुंबई पर आतंकी हमले की बरसी है. जिनकी शहादत हुई उनके दुख पता नहीं हम कितने बांट पाएंगे. दूसरे तक पहुंच पाना ही कितना मुश्िकल हो रहा है. हर कोई अकेले अकेले कंटीली तारों में उलझा हुआ सा है. अंदर बाहर रस्मअदायगी बहुत है. पिछले साल हादसे के बाद कविता जैसा कुछ लिखा था. उसे आज फिर पढ़ने का मन है.
मुंबई मेरी जान
आज दूसरा दिन है. मुंबई आतंकवादियों के चंगुल में है। और मन बहुत उखड़ा हुआ है ।
यह शहर नहीं शरीर है मेरा
एक हिस्सा छलनी है
आपरेशन चल रहा है कब से
बेहोशी की दवा नहीं दी गई है मुझे
शहर चल रहा है
घाव जल रहा है
खुली आंख से देख रहा हूं सब कुछ
शहर तकलीफ में है
झेल रहा है
हट जाओ तमाशबीनो
अपने काम में लगो
यह कायर का वार है
मैंने इसे जंग नहीं माना है
जंग में मेरा यकीन भी नहीं
पर तुम्हें यकीन के मानी पता ही नहीं
Monday, November 23, 2009
हिमाचल मित्र का शरद अंक
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आर्थिक मंदी पर तापोश चक्रवर्ती की लिखी आमुख कथा - हम तो डूबेंगे सनम तुम्हें भी ले डूबेंगे॥
हिंदी फिल्मों के नामी साउंड इंजीनियर कुलदीप सूद से बातचीत॥
रजनीश शर्मा बता रहे हैं राजनैतिक हलचल का राजरंग॥
लोक संस्कृति में - भिति चित्र : शम्मी शर्मा॥ हिमाचली लोकनाटय भगत : रमेश मस्ताना ॥ उंची हेक की कलाकार -निम्मो चौधरी : अशोक जेरथ॥ सोलन की धाम : खेमराज शर्मा॥ कांगड़ा सुहाग गीतों में नारी विमर्श : चंद्ररेखा ढडवाल॥
अनुगूंज - मनोज शर्मा॥
साहित्य - मेरी प्रिय कहानी : रेखा॥ टिप्पणी : निरंजन देव॥ बातचीत : मधुकर भारती॥
कविताएं - कुमार कृष्ण॥ ओम भारद्वाज॥ ओम भारती॥ अशोक जेरथ॥ विवेक शर्मा॥
लघुकथा - कृष्णचंद्र महादेविया॥ विचार मंथन - कुशल कुमार॥
पहाड़ी कलम में - लोक गीत॥ गल सुणा : अनूप सेठी॥ कवितां - रमेशचंद्र शाह॥ गौतम व्यथित॥अशोक दर्द॥
लघुकथा - भगवान देव चैतन्य॥ चाचू भतीजू : गप्पी डरैबर॥ पहाड़ी भाषा में शब्द वर्तनी की समस्या :मौलूराम ठाकुर॥
पर्यावरण - दौड़ो दौड़ो बच्चो! पहाड़ पर आग लगी : डॉ उरसेम लता॥ पहाड़ की बेटियां (कविता) सुरेश निशांत॥
आइना - नीलकंठ पराशर॥ अमन काचरू के लिए (कविता) : नवनीत शर्मा॥
करियर कैफे : पढ़ाई कानून की : सुदर्शन वात्स्यायन॥
भूगोल से आगे - पांडुलिपियों को बचाना जरूरी : रमेश चंद्रा॥ पांडुलिपियों का सर्वेक्षण : बी आर जसवाल॥
अनुवाद के अनुवाद की कहानी : डॉ नरेश॥ प्रेम कौन है और पवन कौन : पवनेंद्र पवन॥
हबीब तनवीर - पहली और आखिरी मुलाकात : अजय सकलानी॥ संजय भिसे॥ तैयब मेहता की याद॥
गेयटी थियेटर की नई पारी : भारती कुठियाला॥ श्रीनिवास श्रीकांत॥ त्रिलोक मेहरा॥ दयाल प्रसाद॥संवाद मित्र॥
यात्रा - हिमाचल दर्शन : शैलेश सिंह॥
आस्वाद और परख में - श्रीनिवास श्रीकांत की कविताओं पर नरेश चंद्रकर और जगन्नाथ पंडित॥ मोहन साहिल की कविताओं पर सुजाता॥ हरि मृदुल की कविताओं पर सतीश पांडेय॥ अकादमी की किताबों पर श्रीहर्ष तैलंग॥