Sunday, December 11, 2011

ब्‍लॉग चर्चा




10 दिसंबर को यहां मुंबई के एक उपनगर कल्‍याण में एक कालेज में हिंदी ब्‍लॉगिंग पर एक सेमिनार में भाग लेने का मौका मिला। इसमें कई ब्‍लॉर आए थे। अकादमिक जगत के लागों के बीच यह चर्चा इस दृष्टि से अच्‍छी थी कि अगर हिंदी विभाग ब्‍लागिंग में रुचि लेने लग जाएं तो हिंदी ब्‍लागिंग को और आयाम मिलेंगे. इसमें मुझे भी अपनी बात रखने का मौका मिला. मैंने पावर प्रजेंटेशन बनाया था, उसी जानकारी को यहां दे रहा हूं. स्‍लाइड बनाने का फायदा यह होता है कि बात बिंदुवार चलती है. बहकने का खतरा नहीं रहता. वि‍षय को साहित्यिक ब्‍लागों तक केंद्रित रखा था.  

ब्‍लॉग का चरित्र

  •        रीयल टाइम में घटित होता है
  •        भौगोलिक सीमाओं से परे है
  •        जनतांत्रि‍क है
  •        स्‍वायत्‍त है
  •        क्षैतिज चलता है 
  •       इसलिए कोई छोटा बड़ा नहीं
  •        इसलिए छोटे बड़े की लिहाज नहीं
  •        इसलिए मुंहफट और मुंहजोर
  •        और कभी कभी बदतमीज भी हो जाता है
  •       सार्वजनिक अभिव्‍यक्ति का सहज सुलभ माध्‍यम
  •        चाहे जितने मर्जी ब्‍लॉग बनाओ
  •        अभी महंगा है
  •        मध्‍यवर्ग में पैठ बना रहा है
  •       उम्‍मीद करें यह मुफ्त ही बना रहे
  •        बेथाह मुनाफा कमाने वाली आई टी कंपनियों के जोर के बावजूद
  •        इसे मुफ्त कराने की मुहिम सफल हो
  •        ऐसी कामना करें 
  •       ढूंढने चलो तो हर दिन कोई नया ब्‍लॉग या पत्रि‍का मिल जाती है
  •        सामग्री की बमवारी है
  •        एग्रिगेटरों को देखिए  पल पल नई पोस्‍टें अवतरित होती हैं
  •       साहित्‍य में कुछ स्‍थापित लेखकों के ब्‍लॉग है
  •       कुछ युवा लेखकों के, और कुछ नव लेखकों के
  •       ज्‍यादातर अपनी रचनाएं लगाते हैं
  •        अपनी पसंद की दूसरे लेखकों की रचनाएं लगाते हैं.
  •        कुछ अपने ब्‍लाग पत्रि‍काओं की तरह पेश करते हैं
  •       कुछ ब्‍लॉगर सामूहिक रूप से ब्‍लॉग चलाते हैं
  •       इस तरह हरेक ब्‍लॉगर लेखक भी है संपादक भी
  •  यह एक महत्‍वपूर्ण बिंदु है क्‍योंकि संपादक
    •  कड़ाई बरतने वाला हो    क्‍या पोस्‍ट नहीं करना है
    •  सजग रहने वाला हो     क्‍या पोस्‍ट करना है
    • बहुपठित हो            पिष्‍टपेषण से बचेगा चुनिंदा सामग्री रखेगा
    • सौंदर्यबोध संपन्‍न हो     उसे शब्‍द रंग रेखा और स्‍पेस की समझ हो
       
सीमाएं
 
  •       अथाह भंडार है
  •        एग्रिगेटरों की भूमिका असंदिग्‍ध है
  •        कुछ और छलनियों की जरूरत है
  •        जैसे वि‍षय आधारित
  •        काल आधारित
  •        स्‍थान आधारित
  •        नाम आधारित 
  •       जो हैं वो लेखक हैं और स्‍वनामधन्‍य हैं
  •        क्‍वालिटी कंट्रोल नहीं है
  •        यह सोशल माडिया का चरित्र भी है
  •        संक्ष‍िप्‍त, तुरंत, उच्‍छृंखल, इसलिए
  •        गंभीरता और जिम्‍मेदारी की कमी
  •       और जिम्‍मेदारी के बिना साहित्‍य क्‍या होगा पता नहीं

अपेक्षाएं
 
  •       जितना है बेथाह है पर कम है
  •        और की जरूरत है
  •       अभी भी सर्च करते हैं तो हिंदी    साहित्‍य की सामग्री नहीं मिलती
  •        सतही चलताऊ माल मिलता है
  •        गहराई और विस्‍तार दोनों चाहिए
  •        टिप्‍पणी पाने के मोह से ऊपर उठना होगा
  •        टिप्‍पणी टीआरपी की तरह है
  •        क्‍लासीफाइड सर्च की सुविधा बने
  •        ज्‍यादातर ब्‍लॉगर युवा लेखक और पत्रकार हैं
  •        अब शिक्षक वर्ग आए
  •       शिक्षक वर्ग आएगा तो
  •        छात्र वर्ग आएगा
  •        प्रत्‍येक विभाग को कम से कम एक पीसी मिलना चाहिए
  •        प्रत्‍येक विभाग अपना ब्‍लॉग बनाए
  •        क्‍लासिक साहित्‍य को डाले
  •        कर्तव्‍य की तरह
  •       लिखें और लिखना सीखें
  •        हर लिखे शब्‍द को अपलोड करने का मोह त्‍यागें
  •        अपना श्रेष्‍ठ लेखन ही अपलोड करें
  •        अपनी भड़ास से ब्‍लॉग को न भरें 
इस सेमिनार मे विविध भारती के उद्घोषक यूनुस खान ने संगीत संबंधी ब्‍लागों की जानकारी दी. यूनुस खुद रेडियोनामा और रेडियोवाणी ब्‍लाग चलाते हैं. सेमिनार की बाकी जानकारी यहां पर मिलेगी.