रमाकांत छठे
दशक के महत्वपूर्ण कथाकारों में से एक हैं. दो दिसम्बर १९३१ को जन्मे इस कथाकार के
चर्चित कहानी संग्रह हैं- कार्लो हब्शी का संदूक, जिन्दगी भर का झूठ, उसकी लड़ाई, एक विपरीत कथा और कोई और बात. रमाकांत के महत्वपूर्ण उपन्यास हैं जुलूस वाला आदमी, छोटे छोटे महायुद्ध, उपसंस्कार, खोयी हुयी आवाज़, तीसरा देश, दरवाज़े पर आग, समाधान, टूटते जुड़ते स्वर, बिस्तर और आकाश. सोवियत भूमि के सम्पादक रहे रमाकांत को सोवियत लैंड नेहरू सम्मान तो मिला ही, नेल्सन मंडेला के भारत आने पर उनकी कहानी 'कार्लो हब्शी का संदूक' का भीष्म साहनी द्वारा किया गया अनुवाद उन्हें भेंट किया गया था. "क्रासाद" नामक
पाक्षिक का सम्पादन और अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए चर्चित रमाकांत युवा
रचनाकारों को सदा
प्रोत्साहित करते रहे. उनका निधन ६ दिसम्बर १९९१ को दिल्ली में हुआ.
रमाकांत जी की स्मृति में दिया जाने वाला रमाकांत
स्मृति कहानी पुरस्कार अब तक १५ कहानीकारों को प्रदान किया जा चुका है. पन्द्रहवें
कथाकार हैं ओमा शर्मा. इसके निर्णायक हैं रंगकर्मी दिनेश खन्ना. कथादेश में
प्रकाशित 'दुश्मन मेमना' 443 कहानियों में से चुनी गई है.
वर्ष २०१३ के लिए २०१२ में प्रकाशित कहानियां
विचारणीय होंगी. इस वर्ष के अंतिम निर्णायक हैं श्री विश्वनाथ त्रिपाठी. संस्तुति
और कहानी की फोटोकॉपी १५ मई २०१३ तक भेजना ज़रूरी है. प्रविष्टि इस पते पर भेजी जाए -
महेश दर्पण
संयोजक, रमाकांत कहानी पुरस्कार,
सी - 3/51 सादतपुर,
दिल्ली -110094
महेश दर्पण
संयोजक, रमाकांत कहानी पुरस्कार,
सी - 3/51 सादतपुर,
दिल्ली -110094
अब तक पुरस्कृत कथाकार
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नीलिमा सिन्हा
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कृपाशंकर
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अजय प्रकाश
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मुकेश वर्मा
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नीलाक्षी सिंह
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सूरजपाल चौहान
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पूरन हार्डी
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अरविन्द कुमार सिंह
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नवीन नैथानी
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योगेन्द्र आहूजा
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उमाशंकर चौधरी
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मुरारी शर्मा
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दीपक श्रीवास्तव
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आकांक्षा पारे काशिव
महेश दर्पण
, संयोजक, रमाकांत कहानी पुरस्कार
निश्चय ही अच्छी कहानी विजयी हो..
ReplyDeleteमुरारी शर्मा को पुरूस्कृत करना निश्चत रूप से पहाड की दुरूहता से निकली रचना को सम्मान मिलना है। यह साबित करता है कि लेखन कर्म में हिमाचल जैसा छोटा राज्य भी अपना अहम स्थान रखता है। प्रसिद्ध कहानीकार मुरारी शर्मा जी की बाणमूठ रचना का नाटय मंचन इन दिनों चर्चा में है। जल्द ही नाटक की प्रस्तुति विदेश में भी होने जा रही है। मुरारी शर्मा जी के चयन के लिए हिमाचल वासी आभारी हैं...
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Deleteशम्मी जी बाणमूठ के बारे में यह जानकारी देने के लिए धन्यवाद. हम इस कोशिश में हैं कि मुरारी शर्मा की कहानी भी यहां पढ़ने को मिले और उसका नाट्य रूपांतर भी. (वर्तनी की अशुद्धि के कारण पहले वाली पोस्ट हटानी पड़ी)
Deleteसुन्दर।
ReplyDeletesethi ji, aapney sarahaniya karya kiya hai. sadhuvaad.
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ReplyDelete19वां रमाकान्त स्मृति पुरस्कार किसे दिया गया?
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