Wednesday, December 23, 2009

शहर को पीठ

पिछले पोस्‍ट में जहां से खड़े होकर निर्माल्‍य कलश दि‍ख रहा था, जहां कूड़ा कलश के बाहर था और कूड़ा बीनते बच्‍चे कलश में घुसे से हुए थे। मानो उनके महानगर में शामिल होने का रास्‍ता निर्माल्‍य कलशों से होकर ही जाता है। इसी जगह से नजर ऊपर उटाई जाए तो सड़क और महानगर दिखने लगता है। लेकिन जैसे ही हम शहर को पीठ दिखा दें तो नजर आक्षितिज उठ जाती है। तब जो नजारा दिखता है वो कुछ ऐसा है -




Posted by Picasa


2 comments:

  1. आपकी पिछली पोस्‍ट को नहीं देख सकी थी .. बहुत खूबसूरत चित्र हैं .. धन्‍यवाद !!

    ReplyDelete
  2. अद्भुत !
    केप्शन तो लाजवाब है. पीठ ! ऐसे दृश्य शहर को पीठ दिखा कर ही नसीब हो सकते हैं.

    ReplyDelete