सलमान मासाल्हा की कविताएं
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के एस कुलकर्णी की चित्रकृति |
पिंजरा
उसकी हथेली पर दूसरों ने
खींची
पिंजरे की रेखाएं। जहां
उन्होंने कैद कर दी
उसकी जीवन गाथा। और अरब
का बेटा, मैं
मुझे नफरत है कैद में रखे
पंछी से। हर बार
जब उसने दिया मुझे अपना
हाथ। मैंने मिटा दी एक रेखा।
और आजाद कर दिए पंछी।
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