रणबीर सिंह बिष्ट |
सलमान मासाल्हा की मूल कविताओं के ये हिंन्दी अनुवाद
विवियन ईडन के अंग्रेजी अनुवाद से किए हैं । ये कविताएं नया ज्ञानोदय और विपाशा में छपी हैं।
विवियन ईडन के अंग्रेजी अनुवाद से किए हैं । ये कविताएं नया ज्ञानोदय और विपाशा में छपी हैं।
रत्नज्योति [1]
फिलीस्तीनी गीत
झील
बहुत ऊपर चढ़ आई है
पेडो़ं की शाखों तक।
किसान
जोत रहा हे खेत
नंगे पांव। भोर
की बेला में उसे नहीं दीखता वसंत का आना।
रत्नज्योति
खिल खिल पड़ती है
लाल खपरैल की छतें।
bahut sundar
ReplyDeleteआभार
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