Saturday, August 27, 2016

स्‍टेट ऑफ होमलैंड

रणवीर सिंह बिष्‍ट


तीतर की पूंछ
मेरे होठों में है एक छोड़ा हुआ वतन
अपने कंधों से झाड़ता गेहूं की बालियां
जो चिपक गईं उसके सिर के बालों से
जैतून के झुरमुट में
किसान यादों का हल चलाता है
और बिसर जाता है जंगली पंछियों की आरजू
अन्‍न के दानों के लिए
पहाड़ी गोल पत्‍थरों की हथेलियों पर
टपके भोर के बादल
पहाड़ियों से चारसूं दबे हुए
शिकारी आत्‍मसमर्पण से मना करता है
गूदडो़ं से भर लेता है अपना झोला
और खोंसता है उसमें तीतर की पूंछ
ताकि लोग समझ जाएं
वो है जबरदस्‍त शिकारी। 

4 comments:

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    1. प्हाहाड़ीया च नुवादेय्या
      ***
      मेरेयां लिब्बडां च है इक्क छड्डे:या वतन
      अपणेयाँ मूँहन्डेयाँ ते झाड़दा कणका दीयां बॉळीयाँ
      सै:जे सच्चीय्यीयाँ ति:दे सिरे देयाँ बाळा नै
      जैतून्ना देयाँ झुड़ेयाँ च
      किरसाण यादां दे हळ बा:हन्दा
      कनै वसारी छड्डदा जंगलां देयाँ पंछीयाँ दी तां:ह्ग
      अन्ने देयाँ दाणेयाँ दी खातिर
      प्हाहाड़ी गोलमटोळ पत्थराँ दीयां ह्थ्याळीयाँ प्राह्लैं
      टपकण भ्यागसारे दे बद्दळ
      रिढियाँ नै चारसूं जको:ह्यो
      शकारी आत्मसमरपणे ते मना: करदा
      गुद्दड़गाळयाँ नै भरे:ह्या अपणा झोळा
      कनै हड़ोस्सदा तिस्च तितरे दीया पूच्छा
      जां जे लोक समझी जा:ह्न
      भई सै: है जबरजस्त शकारी।

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    3. वाह जी वाह। बड़ा बधिया अनुवाद।

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