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क्या किस्मत
क्या किस्मत है, चुनूं
रसभरियां जंगल में
मैंने सोचा
न है जंगल न रसभरियां
क्या किस्मत है, जा सोऊं
पेड़ की छांह तले
मैंने सोचा
पेड़ देते नहीं अब छाया
क्या किस्मत है, मैं हूं संग तुम्हारे
दिल धड़के मेरा
मैंने सोचा
आदमी के है नहीं दिल।
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