6
रूपांतरण
मेरा छोटा बेटा आता है
कमरे में और कहता है
'तुम गिद्ध हो तो मैं चूहा '
मैं अपनी किताब फेंकता हूं परे
डैने और पंजे उग आते हैं मुझमें
उनकी अपशगुनी छाया
दीवारों पर दौड़ती है
मैं हूं गिद्ध वह है चूहा
'तुम हो भेड़िया मैं हूं बकरा '
मैंने मेज का चक्कर लगाया
और मैं हो गया भेड़िया
खिड़की के पल्ले चमकते हैं
जैसे विषदंत
अंधेरे में
वह दौड़ता है मां की तरफ
निरापद
उसका सिर छुपा हुआ उसकी पोशाक की गर्माहट में
इस महत्वपूर्ण कविता को हमारे साथ बांटने के लिए आभार।
ReplyDeleteधनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
----------
डिस्कस लगाएं, सुरक्षित कमेंट पाएँ
अच्छी कविता. अच्छा लगेगा, यदि आप रोज़ोविच के बारे में भी कुछ ख़ास जानकारी दे सकें.
ReplyDeleteउत्साहवर्धन के लिए आभार और धन्यवाद. मैं सोच ही रहा था इनका परिचय भी अपलोड करूं. एक कविता और अपलोड करूंगा, उसके बाद परिचय.
ReplyDelete