Saturday, October 10, 2009

तदेउष रोज़ेविच की कविताएं

3

हमें माफ करो

भूल जाओ हमें

हमारी पीढ़ी को भूल जाओ

इंसानों की तरह जीओ

बिसर जाओ हमें

हमने डाह की

पेड़ों और पत्थरों से

हम जले कुत्तों से

बल्कि बन जाऊं मैं चूहा

तब मैंने कहा उसे

मैं तो बल्कि रहूं ही न

और मैं जाऊं सो

और जागूं जब युद्ध हो चुका हो

वो बोली आंखें बंद किए किए

भूल जाओ हमें

मत पूछो हमारी जवानी के बारे में

हमें माफ करो।

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