मुंबई मेरी जान
आज दूसरा दिन है. मुंबई आतंकवादियों के चंगुल में है। और मन बहुत उखड़ा हुआ है ।
यह शहर नहीं शरीर है मेरा
एक हिस्सा छलनी है
आपरेशन चल रहा है कब से
बेहोशी की दवा नहीं दी गई है मुझे
शहर चल रहा है
घाव जल रहा है
खुली आंख से देख रहा हूं सब कुछ
शहर तकलीफ में है
झेल रहा है
हट जाओ तमाशबीनो
अपने काम में लगो
यह कायर का वार है
मैंने इसे जंग नहीं माना है
जंग में मेरा यकीन भी नहीं
पर तुम्हें यकीन के मानी पता ही नहीं
मन तो बड़ा ही ख़राब है. सन्न हैं. कुछ कहते भी नहीं बनता.
ReplyDeleteयह सचमुच बेचैन करने वाला वक्त है- कायरों का वक्त-
ReplyDeleteयह कायर का वार है
मैंने इसे जंग नहीं माना है
जंग में मेरा यकीन भी नहीं
पर तुम्हें यकीन के मानी पता ही नहीं
बहुत दुखद और कायरतापूर्ण
ReplyDeletekya kahen ,narayan narayan
ReplyDeleteaakrosh ki sashkt prastuti...
ReplyDeletesaabhaar
swati
सच पुछिए हम सब आज कहीं न कहीं किसी उत्तर की तलाश में है और मन भारी है.
ReplyDeleteHAADSE NE HILAYA THA,
ReplyDeleteABHI HIL HI RAHA THA,
K YE KAVITA.........
ME SANN NAHI HONA CHAHTA...
ANUP JI,
PRASANN HONA CHAHTA HOON
abhi blog par aap ki rachnaen parhii. yeh swastikar sanket hain ki ab aap ki rachnaen ek jagah ek saath barabar padhte rahne ko milegii.
ReplyDeletepiyush daiya
bahut sateek tippni he in halat par. in panktiyon ko parh kar uddasi aur barh gyee.
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