अभी कुछ दिन पहले उदय प्रकाश ने अपने ब्लाग पर खबर दी थी कि उनकी पुस्तक अरेबा परेबा के मराठी अनुवाद को पुरस्कार मिला है. अनुवादक जय प्रकाश सावंत को यह पुरस्कार देने का मौका मुझे मिला. अपने अग्रज साहित्यकार की पुस्तक के मराठी अनुवाद के पुरस्कार समारोह में इस तरह शामिल होना बड़ा शुभ रहा। यह नवंबर की 10 तारीख थी. शायद एक दिन पहले ही महाराष्ट्र विधान सभा में हिंदी में शपथ लेने पर हाथापाई जैसी शर्मनाक घटना हो चुकी थी. उसी शहर में एक भाषा का दूसरी भगिनी भाषा में अनुवाद पुरस्कृत हो रहा था. और मैं इस सकारात्मक प्रतिपक्ष का प्रतिभागी रहा, इसका संतोष और गर्व है.
साने गुरूजी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट एक अनुवाद सुविधा केंद्र चलाता है जहां रहकर अनुवाद कार्य किया जा सकता है. मेरे लिए यह जानकारी बड़ी आह्लादकारी थी. क्योंकि भारतीय भाषाओं में परस्पर अनुवाद की बहुत ज्यादा जरूरत है. और इस तरह की सुविधाएं हमारे देश में ज्यादा नहीं हैं। बल्कि अनुवाद को उतना सम्मान का दर्जा भी हासिल नहीं है. हिंदी में इस तरह के अनुवाद का शायद ही कोई केंद्र हो. अगर आपकी जानकारी में हो तो अवश्य बताएं.
No comments:
Post a Comment