Thursday, May 16, 2019

ललाट पर लपट


हम सबके प्‍यारे सुरेंद्र राजन ने यह चित्र फेसबुक पर साझा किया। 
उस पर मेरी तात्‍कालिक प्रतिक्रिया


ललाट पर लपट धारे 
यह कौन है 


साधु का बाना है 
देह नहीं 

चेहरा कहीं को है 
दृष्टि कहीं और 

लगता स्थिर है 
पर चलाएमान है 

कल कहीं बैठा था 
कल कहीं उतरेगा 

खुले में भी है 
ओट में भी 

रोशनी की कंदरा है 
किसका जागना 
किसकी तंद्रा है

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