Saturday, March 8, 2014

ऑनलाईन कुल्लू पहुँचे अनूप सेठी


2 comments:

  1. वाह तीनों कवितायें भा गयी, नागरिक की प्रेतबाधा हरो ऐ ईश्वर।

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  2. किसी ने हाथ से खिलाया था / किसी ने छाती से लगाया था

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