वाह तीनों कवितायें भा गयी, नागरिक की प्रेतबाधा हरो ऐ ईश्वर।
किसी ने हाथ से खिलाया था / किसी ने छाती से लगाया था
वाह तीनों कवितायें भा गयी, नागरिक की प्रेतबाधा हरो ऐ ईश्वर।
ReplyDeleteकिसी ने हाथ से खिलाया था / किसी ने छाती से लगाया था
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