Tuesday, January 1, 2013

चला गया आखिर साल दो हजार बारह

2012

साल का अंत आते आते सत्‍ता का चेहरा इतना पत्‍थर हो गया
कि पता नहीं वो पुलिस का था
पाषाण का था तराशा हुआ राजसी ठाठ में
लोग थे
और भी लोग थे
हाड़ मांस के जीते जागते
आक्रोश और क्रोध से भरे हुए
सत्‍ता ने बंद कर लिए अपने नेत्र जो वहां थे ही नहीं
द्वार भी जो दरअसल कभी बने ही नहीं
वहां दीवारें ही थीं पारदर्शी अपारदर्शी
लोग अपनी मांगें मनवाने निकले थे सड़क पर
आहत और आरक्‍त नेत्र शावकों की तरह  
उन्‍हें बुजुर्गों ने डिमांड चार्टर लिखने की सलाह दी
बच्‍चे अब हिज्‍जे जोड़ना चाहते हैं
जिसका एक सिरा प्राचीन सभ्‍यता‍ में नासूर सड़ा है
दूसरा ओर छोर पकड़ में आता नहीं
आता है अचानक इकतीस दिसंबर
और कानों में मानो कोई भंवरा गुनगुनाने लगता है
कि नए साल में चीजें बदल जाएंगी
इतने कठोर शैल समय में
इतनी भोली उम्‍मीद!

10 comments:

  1. सुन्दर !
    लेकिन वह उम्मीद भोली ही नहीं घातक रूप से भ्रामक भी है . हर नए साल पर नशे के एक डोज़ की तरह मिलती है हमें और हम ज़्यादातर तो पुलकित प्रफुल्लित रहते हैं ; और बचे हुए सोए , खोए ..... :(

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    1. हां, ठीक कह रहे हैं आप

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  2. दुख दे बीता साल पुराना,
    ऐसी घटना अब न लाना।

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    1. आपकी भी यह कामन पढ़ कर अच्‍छा लग रहा है

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    2. कामन नहीं कामना

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  3. लेकिन सवाल यह है कि आदमी उम्‍मीद कहां से पाए

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  4. खुद से , भाई जी ! कस्तूरी कुंडली बसैं .....

    आदमी के अन्दर एक बड़ी प्यारी सी , क्यूट सी पोटली है *सत्त* की . हताशा में बस गाँठ खोल के सूँघ ले ज़रा सी . झमाझम उम्मीदों की मेह बरसती है .
    वह बाहर खोजता है और अँधेरे बटोरता है खुद के लिए . भटकता है .
    असमानी उददियाँ फडोना ए
    जेहड़ा अन्दर बईठा ओह नूँ फडया नाहिं :(

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    1. ओ पोटली ई तां गुआच गई ऐ मितर पियारे
      जे ओह् मिल जावे, तां क्‍लेश मिट जाह्ण सारे

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  5. खूब कहा अनूप जी- पर वह पोटली खोई नहीं है इंडिया गेट के उसपार बड़े गुंबद वाली इमारत में -अंग्रेजों के बनाए तहखाने में -सात तालों के अंदर लोहे के बक्से में छिपा दी गई है - काले नाग फूंफकारते हैं उसके इर्द गिर्द - जो व्यक्ति रोहतंग के ढांख में जीवन और मृत्यु की अदृश्य रस्सी पर झूल कर -काला पाजा निकाल लाएगा -वही अदृश्य रूप से तहखाने पहुँच पाएगा - ताले खुल जाएंगे और सांप फूल हो जाएंगे -जब आप की बातचीत पढ़ कर मैं सो रहा तभी मुक्तिबोध ने सपने में आकर यह खुलासा किया -एक राज़ की बात बताऊँ इसी काले पाजे को शेता पाजा भी कहते हैं - अपने पास आने वाले को यह धोखा देता है -कभी श्याम तो कभी श्वेत होता है -अब मैं यह राज नहीं खोल सकता कि पोटली हासिल करने वाले का क्या होगा - राज़ जाहीर करने से पाजे का तिलस्म टूट जाएगा -फिर बक्सा हाथ नहीं आएगा

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  6. प्रभावशाली ,
    जारी रहें।

    शुभकामना !!!

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