दलाईलामा का मैक्लोडगंज
घाटी में पुरातत्ववेता
ईसा से पहले के
बौद्ध स्तूप के अवशेष पाता है
ईसा के बहुत बाद भगाया गया
बौद्धों का राजा
एक चोटी पर शरण पाता है
यहां बहुत सारे बौद्ध हैं शरणार्थी
बाकी सारे अबौद्ध हैं निवासी और अनिवासी
जो यहां आते हैं सिर्फ सैलानी होते हैं
जो यहां रहते हैं वे दुकानें लगाते हैं ॥
जो यहां आते हैं सिर्फ सैलानी होते हैं
ReplyDeleteजो यहां रहते हैं वे दुकानें लगाते हैं ॥
कडवा है मगर सच है!!!
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteडॉ अनुराग और नैमित्य जी, कविता पढ़ने और टिप्पणी करने के लिए आपका आभारी हूं.
ReplyDelete