अनूप सेठी

Thursday, January 28, 2021

नीम बेहोशी

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बनास जन में छपी कविताओं की कड़ी में अंतिम कविता   ।।नीम बेहोशी।।   मंत्री की गाड़ी के काफिले से डर लगता है। उनकी प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के प्र...
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Wednesday, January 6, 2021

हलफनामा

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  बनास जन   में छपी कविताओं में से एक और कविता पढ़िए।       ।।हलफनामा ।। फंसा फंसा तो इसलिए लग रहा है क्‍योंकि दर्जी ने कमीज तंग सिल दी है...
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Monday, November 23, 2020

नया हाकिम

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  आपने   बनास जन   में छपी चार कविताओं में से एक कविता खेल कुछ दिन पहले पढ़ी थी। यह अंक ऑनलाइन ही छपा है। आज उन्हीं चार में से दूसरी कविता ...
Monday, November 2, 2020

खेल

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  कागज पर जलरंग : महेश वर्मा  यह कविता कोरोना काल से पहले की है। दरअसल कोरोना शरु होने के बाद मुझसे कोई कविता लिखी ही नहीं गई। अलबत्ता दो-एक...
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Friday, September 25, 2020

विजय कुमार की तीन कविताओं पर एक टिप्पणी

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छायांकन : हरबीर सिंह मनकू  बजती हुई सांकल (विजय कुमार की तीन कविताओं पर एक टिप्पणी) कुछ को - सबको नहीं सब में से बहुतों को भी नहीं बल्कि बहु...
Monday, June 29, 2020

वीटी बेबे

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वीटी स्टेशन की धरोहर इमारत पर लगी मूर्ति   मैंने कहानियां ज्यादा नहीं लिखीं हैं । जो लिखी हैं वे भी पचीस तीस साल पहले । रोटियां ...
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