अनूप सेठी

Tuesday, July 21, 2009

कविता

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कवि को देशनिकाला है कुदरत ने बनाए मिट्टी पानी पेड़ और पहाड़ इंसान ने कथनी करनी का फैलाया जंजाल कवि ने गाया कुदरत औ ' इंसान का गान...
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Friday, July 17, 2009

उदय प्रकाश के लिए

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कवि की दुनिया दुनिया में कवि से ज्यादा उजड्ड कोई नहीं कवि से ज्यादा सभ्य कोई नहीं तमाम दुनिया पानी भरती है कवि के आगे इशारों पर नच...
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Friday, June 26, 2009

ईवेंट

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चौब्‍ीस जून को जगदंबा प्रसाद दीक्षित 75 वर्ष के हो गए. कुछ संस्‍थाओं ने उनका अमृत महोत्‍सव मनाया. बीस जून को जलेस ने हबीब तनवीर की स्‍...
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Tuesday, April 28, 2009

संपादकीय

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हिमाचल मित्र के ग्रीष्‍म अंक  का आवरण और व‍िषय-वस्‍तु आप देख चुके हैं.  अब प्रस्‍तुत है संपादकीय पिछले साल नवबंर महीने की छब...
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Tuesday, April 21, 2009

हिमाचल मित्र का ग्रीष्‍म अंक

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हिमाचल मित्र का ग्रीष्‍म अंक छप गया है। आप एक नजर इसमें शामिल सामग्री पर डालिए। अगर उपयोगी लगे तो बताने की कृपा करें, संभव हुआ तो अंक आपकी ...
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Monday, April 20, 2009

पगड़ीपाला

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Wednesday, March 18, 2009

बाल वाला और बिना बाल वाला

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Wednesday, February 25, 2009

दो कविताएं

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अब दो कविताएं पढि़ए. ये भी उसी माहौल से निकली हैं, जहां से पिछला लेख निकला था। राकेश जी को लगा, लुधियाना शहर का ये चित्र कल्‍पना से लिखा है...
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Wednesday, February 11, 2009

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यह चित्र हमारे प्रिय और प्रसिद्ध सौंदर्यबोधशास्‍त्री विद्वान रमेश कुंतल मेघ की पुस्‍तक साक्षी है सौंदर्य प्राश्निक का मुख पृष्‍ठ है। पुरुष...
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Friday, January 9, 2009

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उदासी के कारोबार मुंबई के अखबार उर्दू टाइम्‍स ने हिंदी अखबार निकाला। उसके संपादक थे सुधांशु शेख्‍ार। वहां मैंने कुछ अर्सा अंतर्नाद , फिर बात...
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Saturday, December 6, 2008

कविता:किसी दिन अचानक

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किसी दिन अचानक सुबह, शाम या रात में आंखों के सामने आ खड़ा हो आसमान भुरभुरी धुंध, बादल पहाड़ी पर चढ़ आएं स्लेट की छतों को ढक लें धीरे...
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Friday, November 28, 2008

मुंबई मेरी जान

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मुंबई मेरी जान आज दूसरा दिन है. मुंबई आतंकवादियों के चंगुल में है। और मन बहुत उखड़ा हुआ है । यह शहर नहीं शरीर है मेरा एक हिस्‍सा छल...
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Monday, November 24, 2008

कविता

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राम शिला की प्रार्थना (एक कांगड़ी लोकगाथा, जिसमें बहू को दीवार में चिनवा कर बलि देने का करुण वर्णन है, की शैली में) अगल भी चिनना बगल भी ...
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Tuesday, November 18, 2008

हजामत

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सैलून की कुर्सी पर बैठे हुए कान के पीछे उस्तरा चला तो सिहरन हुई आइने में देखा बाबा ने साठ-पैंसठ साल पहले भी कान के पीछे गुदगुदी हुई ...
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Sunday, November 16, 2008

कबाड़

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उन्होंने बहुत सी चीज़ें बनाईं और उनका उपयोग सिखाया उन्होंने बहुत सी और चीज़ें बनाईं दिलफरेब और उनका उपभोग सिखाया उन्होंने हमारा तन मन ...
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जूते

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कई हज़ार साल पहले जब एक दिन किसी ने खाल खींची होगी इंसान की उसके कुछ ही दिन बाद जूता पहना होगा धरती की नंगी पीठ पर जूतों के निशान मिलत...
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  • Anup sethi
  • Prakash Badal
  • सुमनिका
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