tag:blogger.com,1999:blog-7041590032214456719.post6791724531606158518..comments2024-01-14T22:05:12.224+05:30Comments on अनूप सेठी: शहरियों की सैरPrakash Badalhttp://www.blogger.com/profile/04530642353450506019noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-7041590032214456719.post-4316305507933060162011-10-18T10:51:11.949+05:302011-10-18T10:51:11.949+05:30यहां आने के लिए सभी का धन्यवाद. और आपका टिप्पणी ...यहां आने के लिए सभी का धन्यवाद. और आपका टिप्पणी करने के लिए विशेष धन्यवाद. आप तीनों की बातें ठीक लगती हैं. <br />नीरज जी, शहरी जीवन शैली ने ही सैर को जन्म दिया होगा. अब तो खैर सैर करना एक काम जैसा हो गया है, सेहतमंद रहने के लिए, लेकिन पहले सैर में फुर्सत जैसा, तफरीह जैसा भाव भी था. जैसे बुद्धिजीवी लोग शाम को टहलने निकल जाया करते थे. प्रवीण जी की बात से भी यही पता चल रहा है. और अनूप जी, डायरी लिखने में मजा आता है. पर नियमित लिखने में यांत्रिकता आने का डर भी रहता है. मेरे हिसाब से रोजनामचा लिखना डायरी लिखना नहीं है. नेमी जीवन से कुछ अलग हो, जिससे बाद में हमें कुछ दृष्टि मिले, उसी तरह की डायरी मुझे काम की लगती है.Anup sethihttps://www.blogger.com/profile/13784545311653629571noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7041590032214456719.post-32391117275437133972011-10-17T22:59:04.270+05:302011-10-17T22:59:04.270+05:30बात तो आपकी सही लगती है। दस साल पुरानी डायरी अगर प...बात तो आपकी सही लगती है। दस साल पुरानी डायरी अगर पूरी हुई तो अब डायरी नियमित लिखें।अनूप शुक्लhttp://hindini.com/fursatiyanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7041590032214456719.post-38208878569519879952011-10-17T21:46:48.433+05:302011-10-17T21:46:48.433+05:30जब सारा दिन बैठ कर बिताना हो तो सैर कर लेनी चाहिये...जब सारा दिन बैठ कर बिताना हो तो सैर कर लेनी चाहिये।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7041590032214456719.post-28988145993783231652011-10-17T16:06:58.372+05:302011-10-17T16:06:58.372+05:30"सैर करना शहरी व्यक्ति का शौक है"....बिल..."सैर करना शहरी व्यक्ति का शौक है"....बिलकुल सच कहा आपने...मोटे-थुलथुल खा-पी कर अघाए लोग मुंबई या ऐसे दुसरे शहरों में सैर करते दिखाई देते हैं...गाँव के लोगों को सैर की क्या जरूरत...सच्ची बात...<br /><br />नीरज .नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com