tag:blogger.com,1999:blog-7041590032214456719.post4557048491533701661..comments2024-01-14T22:05:12.224+05:30Comments on अनूप सेठी: एक भाषा की चीखPrakash Badalhttp://www.blogger.com/profile/04530642353450506019noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-7041590032214456719.post-1425716908544538702017-03-24T22:37:26.009+05:302017-03-24T22:37:26.009+05:30मैं भी यूटीआई छोड़ने के बाद एक दिन आकाशवाणी भवन गय...मैं भी यूटीआई छोड़ने के बाद एक दिन आकाशवाणी भवन गया था, जहां आठ साल नौकरी कर चुका था तो वहां के ढांचे को देखकर लगा, मैं जो छोड़कर गया तो क्या फर्क पाया? कुछ नहीं। थाड़े बहुत रद्दोबदल के साथ सारी नौकरीगाहें एक सरीखी हैं, खुश्क, ठस और दृष्टिहीन। Anup sethihttps://www.blogger.com/profile/13784545311653629571noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7041590032214456719.post-72376233902117572832017-03-20T14:40:56.883+05:302017-03-20T14:40:56.883+05:30सही लिखा है आपने. सरकारी तंत्र में हिन्दी के संवेद...सही लिखा है आपने. सरकारी तंत्र में हिन्दी के संवेदनशील लेखक के लिए कोई जगह नहीं. सबकुछ ढकोसला लगता है. मैं तो चार साल में ही समझ गया था. इस दुनिया से भागो. चला आया. पत्रकारिता में, लेकिन वहाँ भी कहाँ चैन! Govind Singh(गोविन्द सिंह)https://www.blogger.com/profile/09817516884809588897noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7041590032214456719.post-87314405037776978932017-03-13T11:48:53.088+05:302017-03-13T11:48:53.088+05:30जी, हिंदी का कानून हिंदी के साथ बड़ा छल है। हालांक...जी, हिंदी का कानून हिंदी के साथ बड़ा छल है। हालांकि इसकी वजह से लोगों को नौकरियां मिली हुई हैं।Anup sethihttps://www.blogger.com/profile/13784545311653629571noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7041590032214456719.post-41119078936692608872017-03-12T13:13:07.691+05:302017-03-12T13:13:07.691+05:30हमारे सरकारी तं
त्र में यूं तो सभी चीज़ें बस उच्चाध...हमारे सरकारी तं<br />त्र में यूं तो सभी चीज़ें बस उच्चाधिकारी के रहम-ओ-कर्म पर टिकी रहती हैं मगर हिंदी के मामले में मैंने देखा है कि अधिकांश संस्थानों में हिंदी वाले को बोझ समझा जाता है. आपकी यह पोस्ट मेरे इस विश्वास को और पक्का करती है.Jammu Art Scapehttps://www.blogger.com/profile/10362971129040152232noreply@blogger.com