tag:blogger.com,1999:blog-7041590032214456719.post4171257365784162934..comments2024-01-14T22:05:12.224+05:30Comments on अनूप सेठी: चला गया आखिर साल दो हजार बारहPrakash Badalhttp://www.blogger.com/profile/04530642353450506019noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-7041590032214456719.post-20175287365395283072013-01-11T15:22:31.520+05:302013-01-11T15:22:31.520+05:30प्रभावशाली ,
जारी रहें।
शुभकामना !!!
आर्यावर्त ...प्रभावशाली ,<br />जारी रहें।<br /><br />शुभकामना !!!<br /><br /><a href="http://www.liveaaryaavart.com/" rel="nofollow"> आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़) </a><br />आर्यावर्त में समाचार और आलेख प्रकाशन के लिए सीधे संपादक को editor.aaryaavart@gmail.com पर मेल करें।आर्यावर्त डेस्कhttps://www.blogger.com/profile/13966455816318490615noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7041590032214456719.post-23548690665838270552013-01-09T20:02:55.087+05:302013-01-09T20:02:55.087+05:30खूब कहा अनूप जी- पर वह पोटली खोई नहीं है इंडिया गे...खूब कहा अनूप जी- पर वह पोटली खोई नहीं है इंडिया गेट के उसपार बड़े गुंबद वाली इमारत में -अंग्रेजों के बनाए तहखाने में -सात तालों के अंदर लोहे के बक्से में छिपा दी गई है - काले नाग फूंफकारते हैं उसके इर्द गिर्द - जो व्यक्ति रोहतंग के ढांख में जीवन और मृत्यु की अदृश्य रस्सी पर झूल कर -काला पाजा निकाल लाएगा -वही अदृश्य रूप से तहखाने पहुँच पाएगा - ताले खुल जाएंगे और सांप फूल हो जाएंगे -जब आप की बातचीत पढ़ कर मैं सो रहा तभी मुक्तिबोध ने सपने में आकर यह खुलासा किया -एक राज़ की बात बताऊँ इसी काले पाजे को शेता पाजा भी कहते हैं - अपने पास आने वाले को यह धोखा देता है -कभी श्याम तो कभी श्वेत होता है -अब मैं यह राज नहीं खोल सकता कि पोटली हासिल करने वाले का क्या होगा - राज़ जाहीर करने से पाजे का तिलस्म टूट जाएगा -फिर बक्सा हाथ नहीं आएगा niranjan dev sharmahttps://www.blogger.com/profile/16979796165735784643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7041590032214456719.post-46385930886662051362013-01-05T14:41:46.813+05:302013-01-05T14:41:46.813+05:30ओ पोटली ई तां गुआच गई ऐ मितर पियारे
जे ओह् मिल जा...ओ पोटली ई तां गुआच गई ऐ मितर पियारे <br />जे ओह् मिल जावे, तां क्लेश मिट जाह्ण सारेAnup sethihttps://www.blogger.com/profile/13784545311653629571noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7041590032214456719.post-91702330121172913542013-01-05T11:52:32.770+05:302013-01-05T11:52:32.770+05:30खुद से , भाई जी ! कस्तूरी कुंडली बसैं .....
आदमी...खुद से , भाई जी ! कस्तूरी कुंडली बसैं ..... <br /><br />आदमी के अन्दर एक बड़ी प्यारी सी , क्यूट सी पोटली है *सत्त* की . हताशा में बस गाँठ खोल के सूँघ ले ज़रा सी . झमाझम उम्मीदों की मेह बरसती है . <br />वह बाहर खोजता है और अँधेरे बटोरता है खुद के लिए . भटकता है .<br />असमानी उददियाँ फडोना ए <br />जेहड़ा अन्दर बईठा ओह नूँ फडया नाहिं :( अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7041590032214456719.post-17878460749168618262013-01-04T12:39:19.051+05:302013-01-04T12:39:19.051+05:30लेकिन सवाल यह है कि आदमी उम्मीद कहां से पाए लेकिन सवाल यह है कि आदमी उम्मीद कहां से पाए Anup sethihttps://www.blogger.com/profile/13784545311653629571noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7041590032214456719.post-385806472406833222013-01-04T12:38:29.193+05:302013-01-04T12:38:29.193+05:30कामन नहीं कामना कामन नहीं कामना Anup sethihttps://www.blogger.com/profile/13784545311653629571noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7041590032214456719.post-58491255053441387572013-01-04T12:37:30.965+05:302013-01-04T12:37:30.965+05:30आपकी भी यह कामन पढ़ कर अच्छा लग रहा है आपकी भी यह कामन पढ़ कर अच्छा लग रहा है Anup sethihttps://www.blogger.com/profile/13784545311653629571noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7041590032214456719.post-78570533421870885622013-01-04T12:36:55.451+05:302013-01-04T12:36:55.451+05:30हां, ठीक कह रहे हैं आप हां, ठीक कह रहे हैं आप Anup sethihttps://www.blogger.com/profile/13784545311653629571noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7041590032214456719.post-8372234955451382722013-01-03T21:57:18.797+05:302013-01-03T21:57:18.797+05:30दुख दे बीता साल पुराना,
ऐसी घटना अब न लाना।दुख दे बीता साल पुराना,<br />ऐसी घटना अब न लाना।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7041590032214456719.post-4831166666864045052013-01-03T19:56:34.373+05:302013-01-03T19:56:34.373+05:30सुन्दर !
लेकिन वह उम्मीद भोली ही नहीं घातक रूप से...सुन्दर !<br />लेकिन वह उम्मीद भोली ही नहीं घातक रूप से भ्रामक भी है . हर नए साल पर नशे के एक डोज़ की तरह मिलती है हमें और हम ज़्यादातर तो पुलकित प्रफुल्लित रहते हैं ; और बचे हुए सोए , खोए ..... :( अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.com