tag:blogger.com,1999:blog-7041590032214456719.post3847716921452668097..comments2024-01-14T22:05:12.224+05:30Comments on अनूप सेठी: आप सब की साक्षी में मैं उपस्थित हूं यहां परPrakash Badalhttp://www.blogger.com/profile/04530642353450506019noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-7041590032214456719.post-19506094116580499282015-09-29T11:14:00.242+05:302015-09-29T11:14:00.242+05:30जी महिंदर जी, देखिए कल हिंदी के एक और अनूठे कवि बी...जी महिंदर जी, देखिए कल हिंदी के एक और अनूठे कवि बीरेन डंगवाल भी चले गए।Anup sethihttps://www.blogger.com/profile/13784545311653629571noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7041590032214456719.post-37947615227364494302015-09-29T11:02:10.458+05:302015-09-29T11:02:10.458+05:30आत्मीत्यता और बिछोड़ की पीड़ा से परिपूर्ण लेख। समय...आत्मीत्यता और बिछोड़ की पीड़ा से परिपूर्ण लेख। समय की परिपाटी से बंधे हम सब एक धूरी पर घूम रहे हैं। कौन कब और कहाँ छिटक कर अलग हो जाये कहा नहीं जा सकता। Mohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7041590032214456719.post-55681726274507636692015-05-11T11:03:33.385+05:302015-05-11T11:03:33.385+05:30जी शुक्रिया। हालांकि स्मृति लेख की तारीफ पर खुशी ...जी शुक्रिया। हालांकि स्मृति लेख की तारीफ पर खुशी का एहसास भी अजीब सा लगता है। Anup sethihttps://www.blogger.com/profile/13784545311653629571noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7041590032214456719.post-27409047976435994522015-05-11T09:40:40.394+05:302015-05-11T09:40:40.394+05:30इस आलेख के बारे में क्या कहूँ- रोचक , मार्मिक, हृद...इस आलेख के बारे में क्या कहूँ- रोचक , मार्मिक, हृदय स्पर्शी या कुछ और- शब्द नहीं मिल रहे । 'तू' का चुनाव आपने क्या खूब किया है ,इससे आत्मीयता और सामीप्य की अनुभूति होती है। aarkayhttps://www.blogger.com/profile/04245016911166409040noreply@blogger.com