Friday, August 13, 2010

मेरे को ले के चल

एक मिनट सुन रे बाबा! तुम लोग हल्‍ला बहुत मचाता है. जब से तेरे हाथ में चूहा आ गएला है, अपना अगाड़ी पिछाड़ी भूल के शेर बन रहेला है. कागज का शेर. अब्‍बी चुप बैठ और मेरी बात सुन. मेरे को भी सही करने का है. बोले, तुम लोग कोई लिस्‍ट निकाला है. उस पर मैं भी सही करेगी. जो अक्‍खा औरत जात को छिनाल बोलता है और जो उस बात को छापता है. और फिर उसको रद्दी की टोकरी में डालने का नाटक करता है. मेरे को ही खाना पड़ेगा न वो रद्दी. नहीं क्‍या? तू ही बोल. इसके वास्‍ते मेरे को ऐसा मैंटेल्‍टी के खिलाफ सही करने का है. अगले पैर से सही करेगी मै. पन मेरा प्राब्‍लम मालुम क्‍या है? उन लोग ने भी एक लिस्‍ट निकाला है. बोलता है, हम लोग गलती किया, हमको माफी देया. हम लोग थूका. अभी चाट लिया. तुम्‍हारा आत्‍मा को सांति मिल गया. अभी घर जाओ. हम खुर्ची छोड़ेंगा नईं. अरे देवा रे! ओ लाग भी मेरा सही लेता है. मेरा पिछला पैर से सही मारा उस के ऊपर. क्‍या करता.

पन मैं क्‍या बोलती है, मेरे को तुम सब लोक ने मिल के तड़ी पार किएला है. मालुम नई मै कब से खड़ी है. कचरे के अंदर खड़ी है. मेरा पूछ पकड़ के तुम लोग वैतरणी पार करता है. पढ़ता लि‍खता है. खाता पीता है. फिर मेरे को छिनाल बोलता है. फिर पालिटिस करता है. मेरी आत्‍मा के ऊपर बुलडोजर घुमा दिया रे तुम लोग. जालिम लोग.

अब मेरा बात ध्‍यान से सुन. मेरे को ले के चल. पीठ के ऊपर ज्ञान को रखने का नहीं. उसको माथा से छुवा बेवकूफ. ज्ञान के ऊपर बैठने का नई. ज्ञान ढोके में भरने का. ढोका मंझे दमाग. फिर मेरे को वर्धा ले के जा. मैं उधर अपनी राय देगी. बोलेगी, तू अभी गांधी बाबा के पास जा के राम राम बोल और चरखा कात. बहुत हो गया तेरा नाटक.

सुन, फिर मेरे को मेरे इच लोग के बीच ले के जा. सच्‍ची बोलती रे. तेरे को बहोत आशीर्वाद देगी मैं. तू इतना पोथी लिखता है. मगजमारी करता है. पोथी को वाचनालय में बेच देता है. कौन पढ़ता है तेरा ज्ञान का बात. दिल पर हाथ रख के बोल. इसी वास्‍ते बोलती, मेरे को नगर नगर, गांव गांव गल्‍ली गल्‍ली ले के चल. मैं हिंदी बोलती. तेरी माई बोलती मैं.

गोवर्धन दास

1 comment:

  1. अब इस राय(ई) का पहाड़ ही बना दे रहे हो आप लोग तो

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