Thursday, June 24, 2010

बारिश का स्‍वागत

चित्र साभार


मुंबई में अंबर बरस रहा है मजे से. निचले इलाकों में पानी भी भर रहा है, आटो टेक्‍सी वाले भी एक डेढ दिन रूठे रहे. पर सारी जनता मस्‍त है. सामान्‍य स्‍थिति होती तो अब तक चिल्‍ल पौं मच गई होती. पिछले साल की कम बारिश और उसके बाद पानी की कम आपूर्ति से सब सहम गए हैं. आखिर पानी की कुछ तो वकत पड़ी. इसी ख्‍याल से यहां छाते और बारिश की बात की थी. अमीर खुसरो को याद करते हुए. गजल गो द्विजेंद्र द्विज ने उस बात को अपने अंदाज में रखा. अब देखिए बर्फ के प्रदेश लाहुल स्पिति से संजीदा युवा कवि अजेय ने यही ख्‍याल अपने अंदाज में रखा है.

सर धर लो तन भीग न पाता
कड़ी धूप में छांह दे जाता
छड़ी बने डर पास न आता
क्‍यों सखी साजन, न सखी छाता

1 comment: