Friday, November 28, 2008

मुंबई मेरी जान


मुंबई मेरी जान
आज दूसरा दिन है. मुंबई आतंकवादियों के चंगुल में है। और मन बहुत उखड़ा हुआ है



यह शहर नहीं शरीर है मेरा
एक हिस्‍सा छलनी है
आपरेशन चल रहा है कब से
बेहोशी की दवा नहीं दी गई है मुझे
शहर चल रहा है
घाव जल रहा है
खुली आंख से देख रहा हूं सब कुछ
शहर तकलीफ में है
झेल रहा है




हट जाओ तमाशबीनो
अपने काम में लगो




यह कायर का वार है
मैंने इसे जंग नहीं माना है
जंग में मेरा यकीन भी नहीं
पर तुम्‍हें यकीन के मानी पता ही नहीं

9 comments:

  1. मन तो बड़ा ही ख़राब है. सन्‍न हैं. कुछ कहते भी नहीं बनता.

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  2. यह सचमुच बेचैन करने वाला वक्त है- कायरों का वक्त-
    यह कायर का वार है
    मैंने इसे जंग नहीं माना है
    जंग में मेरा यकीन भी नहीं
    पर तुम्‍हें यकीन के मानी पता ही नहीं

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  3. बहुत दुखद और कायरतापूर्ण

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  4. aakrosh ki sashkt prastuti...
    saabhaar
    swati

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  5. सच पुछिए हम सब आज कहीं न कहीं किसी उत्तर की तलाश में है और मन भारी है.

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  6. HAADSE NE HILAYA THA,
    ABHI HIL HI RAHA THA,
    K YE KAVITA.........
    ME SANN NAHI HONA CHAHTA...
    ANUP JI,
    PRASANN HONA CHAHTA HOON

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  7. abhi blog par aap ki rachnaen parhii. yeh swastikar sanket hain ki ab aap ki rachnaen ek jagah ek saath barabar padhte rahne ko milegii.
    piyush daiya

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  8. bahut sateek tippni he in halat par. in panktiyon ko parh kar uddasi aur barh gyee.

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